अपनी पूंछ जला कर
लंका फूंकी जाती है।
अपने हाथ तपा कर हवि
अर्पित की जाती है।।
ऐसे नहीं निशाचर गढ़ में
सेंध लगाते हैं।
भक्त विभीषण से कुछ भेदी
ढूढ़े जाते हैं।
भूख मिटे तो राक्षस
बगिया तोड़ी जाती है
सागर ना दे राह
तो तीर चलाना अच्छा है।
शठ ना माने गर
तो पांव जमाना अच्छाहै।
काल गाल से जड़ी बूटियां
लाई जाती हैं।
चुप्पी तोड़, लक्ष्य संधानित,
लांघ गये लंका।
राम काज हित, अरि समूह का
बजा दिया डंका।
हनुमानों की सोई शक्ति
जगाई जाती है।।
सीतापुर 261204