Monday, 31 October 2016

तुम तो हो, तुम मेरे नहीं हो।



कभी तो देखा होता 
मेरी इन आँखों में ,
कि कितना प्यार है 
इनमें तुम्हारे लिए। 

कभी तो झाँका होता 
मेरे दिल में ,
तब तुम समझते कि 
ये धड़कने तुम्हारा ही नाम लेती हैं।
चढ़ती सांसों पर तुम्हारा नाम लिखा है ,
ढलतीं सांसें तुम्हे याद करती हैं। 

ये झुकती पलकें 
तुम्हें आँखों में बसाकर रखती हैं ,
ये पलकें जब भी उठती हैं,
तुम्हें ही ढूंढती है।
भीड़ में भी तुम हो, 
और तुम्ही हो मेरी तन्हाई में। 
तुम मेरी ग़ज़ल में हो, 
और तुम्ही मेरी रुबाई में।
लेकिन तुमको कहाँ खबर मेरी ?
कितना बेचैन रहता हूँ 
मैं तुम्हारे लिए,
कितनी तड़प होती है 
मेरे दिल में तुम्हारे लिए। 

कभी तो समझा होता 
मेरी मुस्कान के पीछे छिपे दर्द को। 
मगर, अफ़सोस तुम भी 
दूसरों की तरह निकले।
मुझे आज भी याद है 
तुम्हारा मासूम सा 
मुस्कुराता चेहरा,
वो नीली आँखें 
और उन आँखों में बसे 
अनगिनत ख्वाब
याद है तुम्हारी वो 
खिलखिलाती हँसी ,
और मोतियों जैसे दांत भी,
गाल पे पड़ने वाले 
डिम्पल भी याद है 
जो तुम्हारी खूबसूरती में 
आठ चाँद लगा देता था।  
लेकिन अब तो सिर्फ 

तुम्हारी बातें ही  हैं ,
तुम्हारी यादें ही हैं ,
तुम तो हो, 
तुम मेरे नहीं हो।

Wednesday, 19 October 2016

जी रहे हैं तो बस तेरी बेरुखी पे


जी रहे हैं तो बस तेरी बेरुखी पे साहेब,
 
मर न जाते हिचकियाँ ले ले के, ग़र याद तुम करते ?

Thursday, 13 October 2016

क्या इश्क में एक मुकाम ऐसा भी आता है ?

गुजरती हवा भी छेड़ जाती है तेरा नाम लेकर मुझे,
क्या इश्क में एक मुकाम ऐसा भी आता है ?
Gujarti Hawa Bhi Chhed Jaati Hai Tera Naam Lekar Mujhe,
Kya Ishque Me Ek Mukam Aisa Bhi Aata Hai ?

कहीं से निकल गए ,


 
ज़िन्दगी यूँ तो महफ़िलों में ही गुजरी है हमारी ,
ये बात और है कि 
कहीं से निकल गए ,
कहीं से निकाले गए। 

Zindagi yun to mahfilon mein hi gujri hai hamari,
Ye baat aur hai ki,
Kahin se Nikal gaye,
Kahin se Nikale gaye.



ज़माने से छुपाता क्यूँ है ,


तू अगर मेरा है तो ज़माने से छुपाता क्यूँ है ,
ग़र मेरा नहीं तो प्यार जताता क्यूँ है। 

Tu agar mera hai to zamane se chupata kyun hai,
Gar mera nahi to pyar jatata kyun hai .

बुझती नहीं प्यास सिर्फ दीदार से तेरे,



बुझती नहीं प्यास सिर्फ दीदार से तेरे,

इश्क में मुझको अब समंदर चाहिए।  

Bujhti nahi pyas sirf deedar se tere,

Ishque mein mujhko ab samandar chahiye.

बड़े अल्फाज संभाल रखे थे मैंने,

बड़े अल्फाज संभाल रखे थे मैंने,
वक्त - ए - रुखसत अलविदा के लिए,
मगर,
कमबख्त नज़रों ने सबकुछ बयां कर दिया,
जुबाँ को कुछ कहने का मौका न दिया।     

ये चेहरे की मासूमियत,

उफ़,
ये चेहरे की मासूमियत,

आंखों की पाकिज़गी.

कोई क्युं न होश खो बैठे,

तेरे रुखसार को देखकर।

परियां आसमान वालों के लिये होती है,


परियां आसमान वालों के लिये होती है,

हम जहां वाले तो इन्सानों से ही गुजारा करते हैं.

Saturday, 1 October 2016

उस चांद की चांदनी






उस चांद की चांदनी तुझको ही मुबारक हो चकोर,

वो तुम्हारे दिल की चोरनी तुम उसके दिल के चोर।