शायरी तो अच्छी है, पर और बड़ी होती तो आपके ब्लॉग पर कुछ देर और समय बिता पाती, अगली बार उम्मीद करूँगी कि कुछ और भी बेहतर और बड़ी शायरी मिलेगी पढ़ने को, अच्छा लिखते हैं....
रश्मि जी, आजकल गंभीर पाठकों की संख्या धीरे धीरे कम हो रही है। लोग अब तो वन लाइनर या फिर दो लाइनों की शायरी पसंद करने लगे हैं, शायद ज्यादा सब्र नहीं रहा उनमें। एक बार मैंने लंबी शायरी भी लिखी, लेकिन जब मित्रो को सुनाने लगा तो उनकी प्रतिक्रिया थी, "यार छोटा लिखा करो, इतना टाइम नहीं होता सुनने का" । उसी शायरी को मैं अगली पोस्ट में लिखने वाला हूँ।
उम्मीद करता हूँ, आप जैसे गंभीर लेखकों और पाठकों को पसंद आएगा। मृत्युंजय
शायरी तो अच्छी है, पर और बड़ी होती तो आपके ब्लॉग पर कुछ देर और समय बिता पाती, अगली बार उम्मीद करूँगी कि कुछ और भी बेहतर और बड़ी शायरी मिलेगी पढ़ने को, अच्छा लिखते हैं....
ReplyDeleteएक नई दिशा !
रश्मि जी, आजकल गंभीर पाठकों की संख्या धीरे धीरे कम हो रही है। लोग अब तो वन लाइनर या फिर दो लाइनों की शायरी पसंद करने लगे हैं, शायद ज्यादा सब्र नहीं रहा उनमें। एक बार मैंने लंबी शायरी भी लिखी, लेकिन जब मित्रो को सुनाने लगा तो उनकी प्रतिक्रिया थी, "यार छोटा लिखा करो, इतना टाइम नहीं होता सुनने का" । उसी शायरी को मैं अगली पोस्ट में लिखने वाला हूँ।
Deleteउम्मीद करता हूँ, आप जैसे गंभीर लेखकों और पाठकों को पसंद आएगा।
मृत्युंजय