साहित्य - सरोवर
Thursday, 13 October 2016
बड़े अल्फाज संभाल रखे थे मैंने,
बड़े अल्फाज संभाल रखे थे मैंने,
वक्त - ए - रुखसत अलविदा के लिए,
मगर,
कमबख्त नज़रों ने सबकुछ बयां कर दिया,
जुबाँ को कुछ कहने का मौका न दिया।
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