साहित्य - सरोवर
Sunday, 18 December 2016
खुदा ऐसी किसी को तड़ीपारी न दे।
तेरे दिल के निकाले, हम भटकते हैं दर-बदर,
खुदा ऐसी किसी को तड़ीपारी न दे।
Tere Dil Ke Nikale, Hum Bhatakate Hain Dar-Badar,
Khuda Aisi Kisi Ko Tadipari Na De.
Wednesday, 14 December 2016
दिल जैसा बे-मुरव्वत कोई और नहीं देखा।
चंद लफ्जो में उलझ कर ही हो जाता है किसी का,
दिल जैसा बे-मुरव्वत कोई और नहीं देखा।
Chand Lafjo Mein Ulajh Kar Hi Ho Jata Hai Kisi Ka,
Dil Jaisa Be-Murwwat Koi Aur Nahi Dekha.
Tuesday, 13 December 2016
चौराहे पर जुदा होने की वजह क्या थी ?
तुम्हारी मर्जी, तुम्हारा फैसला सर आँखों पर,
मगर, इतना तो बता दो,
जब सड़क पर साथ चले, तो चौराहे पर जुदा होने की वजह क्या थी ?
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