Tuesday, 28 August 2018

भइया हमने टी.वी. पे...अब न्यूज देखना छोड़ दिया!!

खुद रिमोट से खींच के कल...अपना ही सर तोड़ दिया!
भइया हमने टी.वी. पे अब...'न्यूज' देखना छोड़ दिया!!

सुबह राशियाँ बोलीं जिस दिन...कि तारें तेरे फेवर हैं,
शाम को देखा, घरवाली के...बदले - बदले तेवर हैं,
उसने सारे तोपों का मुँह...तान हमारी ओर दिया!
भइया हमने टी.वी. पे अब...न्यूज़ देखना छोड़ दिया!!

रोज शाम को हर चैनल पर...जंग है भीषण छिडी हुई,
अब यही देखना बाकी था कि...कौन है किससे भिडी हुई,
या किस बन्दे ने किस बन्दे का बाजू तोड़-मरोड़ दिया!
भइया हमने टी.वी. पे अब...न्यूज़ देखना छोड़ दिया!!

सनकी तानाशाह का उधर...जबतक हमला जारी था,
सकते  में  थी साँस हमारी...जान बचाना भारी था,
लगता था किम जोंग ने मेरे ऊपर ही बम फोड़ दिया!
भइया हमने टी.वी. पे अब...न्यूज़ देखना छोड़ दिया!!

और ब्रेक में ऐड देख कर ... इतना रोना आता था,
सारे आइ.एस.आइ ब्राण्ड हैं, फिर क्यूं कोई सुनाता था-
किसने हल्दी नकली दी औं' किसने आटा 'प्योर' दिया!
भइया हमने टी.वी. पे अब...न्यूज़ देखना छोड़ दिया!!

चीख रहे जो चैनल पर...पाकिट में भर के नोटों को
क्या देखें और क्यूँ देखें...इन बिन पेंदी के लोटों को,
जुबाँ उसी की बोलेंगे...जिसने दस-बीस करोड़ दिया!
भइया हमने टी.वी. पे...अब न्यूज देखना छोड़ दिया!!
                                                   
                                                   कवि - नील रतन

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