Sunday, 25 November 2018

मुझे भी शामिल करो, गुनहगारों की महफ़िल में ।

उसकी फितरत परिंदों सी थी,
मेरा मिज़ाज दरख़्तों जैसा
उसे उड़ जाना था और मुझे कायम ही रहना था.

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हमारे बगैर भी आबाद थी महफिले उनकी
और हम समझते थे कि उनकी रौनक हम से हैं ।

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निगाहें हर बात बयाँ कर देती है..
हसरतें भी, मोहब्बते भी..और..नफ़रतें भी..!!

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मानते हैं सारा जहाँ तेरे साथ होगा,
खुशी का हर लम्हा तेरे पास होगा,

जिस दिन टूट जाएँगी साँसे हमारी,
उस दिन तुझे हमारी कमी का एहसास होगा!

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मुझे भी शामिल करो, गुनहगारों की महफ़िल में ।
मैं भी क़ातिल हूँ,  मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है ।।

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एक आदत सी हो गयी है चोट खाने की
भीगी हुए पलकों संग मुस्कुराने की,
काश अंजाम वफ़ा का पहले ही जानते..
तो कोशिश भी नहीं करते दिल लगाने की |

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कुछ गम, कुछ ठोकरें, कुछ चीखें उधार देती है
कभी-कभी जिंदगी, मौत आने के पहले ही मार देती है...

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हो मुबारक तुम्हें आज वो रौशनी की कतार,
हम तो यूँ अपने अंधेरों में, बहुत खुश हैं यार.!

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देख के दुनिया अब हम भी बदलेंगे मिजाज़
रिश्ता सब से होगा लेकिन वास्ता किसी से नहीं

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बार बार आईना पोंछा मगर, हर तसवीर धुंधली थी..!
न जाने आईने पर ओस थी या, हमारी आँखें गीली थीं...!!

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हस्तियां कुछ जल गईं, कुछ मिल गई खाकों में 
लोग तलाश रहे हैं,  जिन्दगी मौत की राखों में;

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माना कि जिंदगी सुनो दर्द से मुलाकात ही सही
सच्चाई के हर पल के कड़वे ये बयानात ही सही

जीना है हमको हर पल   इन सच्चाईयों के साथ
माना कि  कई सामने यूं  खड़े सवालात ही सही

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आँखों में तेरी कोई करिश्मा ज़रूर है…
तू जिसको देख ले; वो बहकता ज़रूर है…

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किया है प्यार जिसे हमने ज़िन्दगी की तरह;
वो आशना भी मिला हमसे अजनबी की तरह;
किसे ख़बर थी बढ़ेगी कुछ और तारीकी;
छुपेगा वो किसी बदली में चाँदनी की तरह।

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वादा करके निभाना भूल जाते हैं;
लगा कर आग फिर वो बुझाना भूल जाते हैं;
ऐसी आदत हो गयी है अब तो सनम की;
रुलाते तो हैं मगर मनाना भूल जाते हैं।

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नज़रों से ना देखो हमें..  तुम में हम छुप जायेंगे..
अपने दिल पर हाथ रखो तुम.. हम वही तुम्हें मिल जायेंगे..!

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मोहब्बत  के  लिए  खूबसूरत  होने  की  कैसी  शर्त !
इश्क हो जाए तो सब कुछ खूबसूरत लगने लगता है !!

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तेरे इश्क का कैदी बनने का अलग ही मज़ा है,
छूटने को दिल नहीं करता, और उलझने में मज़ा आता है

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नज़र से "नज़र" मिलाकर तुम "नज़र" लगा गए....
ये कैसी लगी "नज़र" की हम हर "नज़र" में आ गए...

नज़र उतार लूँ, या नज़र में उतार लूँ,

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तुम बिन अकेले जीना नही आता,
दर्द जो तुम मुझे देना चाहते हो,
दर्द वो मुझे सहना नही आता,
तुम तो रह लो गे साथ किसी और के,
मगर मुझे किसी और के साथ रहना नही आता…

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मौका दीजिये अपने खून को किसी की रगों में बहने का...
यह लाजवाब तरीका है कई जिस्मो में जिंदा रहने का...

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नज़र उतार लूँ ...
 या नज़र में उतार लूँ,
तुम आ जाओगे यूँ ही.....
 या फिर से आवाज़ दूँ.

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उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी..

मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी..

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मुस्कराहट का कोई मोल नहीं होता ,
कुछ रिश्तों का कोई तोल नहीं होता
लोग तो मिल जाते है हर मोड़ पर
लेकिन हर कोई आप सब की तरह अनमोल नहीं होता !!!

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करते हो जो छुप कर वो दुआ किस के लिए है,
हर शाम दरीचे में दिया किस के लिए है..

रूख़ पर ये भंवर,बहकी नज़र,होंठ रसीले,
शानों पे ये ज़ुल्फ़ों की घटा किस के लिए है..

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ज़ख़्म जब मेरे सीने के भर जाएँगे;
आँसू भी मोती बनकर बिखर जाएँगे;
ये मत पूछना किस किस ने धोखा दिया;
वरना कुछ अपनो के चेहरे उतर जाएँगे।

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गीले काग़ज़ की तरह हैं ज़िंदगी अपनी
कोई जलता भी नहीं कोई बहता भी नहीं
इस क़दर हैं अकले रााओं में दिल की
कोई बुलाता भी नही कोई बतलता भी नहीं

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अब तो आँसू भी नही आते आँखों में,
हर ज़ख़्म नासूर सा लगता है,
मोहब्बत ऐसे मोड़ पर लाई है के
अब अपना नाम भी बेगाना सा लगता है…

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वो ख्वाबो में आकर रुलाते हैं,
हक़ीकत में ना आकर तड़पाते हैं,
जिनको हम समझाया करते थे कभी,
वो लोग आज हम को समझाते हैं…

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अल्फाज तय करते हैं फैसले किरदारों के...
उतरना दिल में है या दिल से उतरना है !!!

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जिनकी हसरत थी उनका प्यार ना मिला,
जिनका बरसो इंतेज़ार किया उनका साथ ना मिला,
अजीब खेल होते हे ये मोहब्बत के,
किसी को हम ना मिले और कोई हमे ना मिला.

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आँखों में दोस्तो जो पानी है
हुस्न वालों की ये मेहरबानी है |
आप क्यों सर झुकाए बैठे हैं
क्या आपकी भी यही कहानी है ||

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हजार रातो में वो एक रात होती है.. ..
जब उनसे बात होती है ...
नज़रे उठाकर देखते हैं जब वो मुझे ... .
वो एक पल पूरी कायनात होती है ..

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इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए!
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए!
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था!
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!

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मोहब्बत में उसका बचकर निकलना
 औऱ मेरा टूटकर बिखरना तो लाज़मी था यारों
क्योंकि उसने मोहब्बत किताबों से सिखी थी, औऱ मैं निगाहों से

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किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?

रिश्ते निभाना मुश्किल नहीं है साहब

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मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बनकर दिखाइये,
वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है !!
दर्द कहाँ मोहताज़ होता है लफ्जों का,
बस दो बूंद आँसूं चाहिए दर्द बयाँ करने के लिये !!
हम नादान हैं जो वफ़ा की तलाश करते हैं
ये भी नहीं सोचते की अपनी साँस भी एक दिन बेवफा ही बन जायेगी !!

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ओवर-टाइम करवा कर छोड़ता है__”
तेरी यादों का दफ्तर इतवार को भी लगता है

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चलो तुम रास्ते ख़ोजो बिछड़ने के,
हम माहौल पैदा करते है मिलने के !!

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दूर उन्हें जाना था ये एहसास तो था लेकिन,
बिछड़ना इस कदर होगा ये ख्याल ना आया !!

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तेरा मेरा रिश्ता भी कागज़ और कलम सा है ऐ जिंदगी,
जब भी मिलते है गैरों की बातें ही करते है !!

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रिश्ते निभाना मुश्किल नहीं है साहब
बस थोड़ी सी वफ़ा ही तो चाहिए होती है!!

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जेब का वजन बढ़ाते हुए अगर दिल पे वजन बढे,
तो समझ लेना की सौदा घाटे का ही है !!

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नजरअंदाज करने से रिश्ता नहीं संभलता,
आ बैठ साथ में सारी उलझने सुलझा देते है

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कैसी  मुहब्बत  हैं तेरी ??
महफ़िल  मे मिले  तो  "अन्जान" कह  दिया ॥
तनहा   ज़ो  मिले  तो *"जान"कह  दिया!!

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अब ना मैं हूं, ना बाकी हैं जमाने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फसाने मेरे।

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हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,
हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,
अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,
ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।

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मेरी हर ख्वाइश में सिर्फ तुम होते हो,
बस दर्द ये है कि सिर्फ ख्वाईशों में ही क्यों होते हो

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कैसे कहूँ कि
इस दिल के लिए कितने खास हो तुम..!
फासले तो कदमों के हैं
पर, हर वक्त दिल के पास हो तुम..!

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कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है,
बोलने की भी और चुप रहने की भी.!!

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गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया!
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया!
थक के जब सितारों से पनाह ली!
नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

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कोई कहता है प्यार नशा बन जाता है!
कोई कहता है प्यार सज़ा बन जाता है!
पर प्यार करो अगर सच्चे दिल से,


तो वो प्यार ही जीने की वजह बन जाता है

Thursday, 15 November 2018

तुम अगर रात हो जाओ, तो तलब नही मुझे नींद की !

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तुम अगर रात हो जाओ ...?
तो तलब नही.... मुझे नींद की !!
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काश तू मेरी तनहाइयों का अंदाजा लगा सके,  
के  मैं जमाने से खफा हूँ ...... सिर्फ तेरे लिए। 
क्यों भटकता है यहाँ वहां सकूँ की तलाश में 
मैं दर्द-ए-दिल की शफा हूँ   ..सिर्फ तेरे लिए। 
दिल दे के हमे कभी घाटा नहीं होगा तुमको 
मैं मुनाफा ही मुनाफा हूँ ...... सिर्फ तेरे लिए। 
तू एक बार संजीदगी से  मुझे सोच के तो देख 
मदहोश कर दे वो नशा हूँ ...... सिर्फ तेरे लिए।
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ख़्वाब में तेरा आना-जाना पहले भी था आज भी है,,
तुझ से इक रिश्ता अन-जाना पहले भी था आज भी है,
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तुम से मिलने की नही
तुम में मिलने की चाह है..
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चैन तुमसे है करार तुमसे है 
जिन्दगी की बहार तुमसे है 
क्या करूगां पूरी दुनिया को लेकर
मेरे दिल को तो बस प्यार तुमसे है
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तमाम ख्वाहिशों ने मेरे सीने में खुदखुशी कर ली !

मैं जिन्दा तो हूँ , मगर किसी मज़ार से कम नहीं !!
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मोहब्बत हाथ में पहनी चूड़ी की तरह है
सवरती है खनकती है और खनक के टूट जाती है
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जैसी तुम दिखती हो वो बात नही आयी है.
लगता है ये तस्वीर किसी गेर से खिचवायी है.
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अपनी तो जिंदगी की अजब कहानी है, 
जिसे हमने चाहा वही हमसे बेगानी है 
हँसता हूँ दोस्तों को हँसाने के लिए, 
वरना इन आँखों में पानी ही पानी है।
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प्यास बढ़ती जा रही है बहता दरिया देख कर 
भागती जाती हैं लहरें ये तमाशा देख कर 
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शतरंज खेल रही है मेरी ज़िन्दगी कुछ इस तरह,
कभी तेरी मोहब्बत मात देती है कभी मेरी किस्मत 
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जब प्यार नही है तो भुला क्यों नही देते, 
ख़त किस लिए रखे है जला क्यों नही देते 
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जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता,
मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता,
काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त,

फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता।
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मेरी सांसो पर नाम बस तुम्हारा है, 
मैं अगर खुश हूं तो ये एहसान तुम्हारा है।
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नज़र उतार लूँ, या नज़र में उतार लूँ 
तुम आ जाओगे यूँ ही, या फिर से पुकार लूँ 
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लाख करो जतन पर मुझको भुला न पाओगे।



नूपुर श्रीवास्तव