Thursday, 15 October 2020

कैसी यह निर्लज्जता फैशन, अंग प्रदर्श।

 


कैसी यह निर्लज्जता,
फैशन,अंग प्रदर्श।
आमंत्रण अपराध को
हीन, भ्रष्ट आदर्श।।

आजादी के नाम पर
जघन, कुचों का शो।
मातृशक्ति रमणी बनी
रमण हुआ ,क्यों रो।।

देह छरहरी, नग्न कटि
डैमेज वसन कराय।
चिक्कण अंग प्रदर्शनी
क्यों न काम जगि जाय।।

कुछ कुलच्छनी चितवनें
कुछ माडर्न स्वभाव।
कुछ अतृप्तता,रति विषय
फिसलति कीच बहाव।।

संयम को गिरवीं रखे
कर्ज लिए व्यभिचार।
एक ब्याज में ढह गई
वह कुलवंती नार।।

भोग रोग है दाद सा
खुजलावै सुख पाय।
पर छल्ला इस कोढ़ का
छुवत,बढ़त ही जाय।।

उद्दीपन बन अंग को
उद्दीपक सा ढाल।
उच्चाटन मत कर सखी
होते यौन बवाल।।

सीतापुर 261204
16 अक्टूबर 2020

Wednesday, 14 October 2020

गोबर मूत किसान का, दूध दुहे सरकार।



साहब घावों पर मेरे, करते रहे प्रयोग।

वह तो डॉक्टर बन गये, मेरा बढ़ गया रोग।।

घर, खेती, पोखर, पशु, जब हो गए निल्लाम।
तब किसान बीमा लिए, मांगे किश्त प्रधान।।

गोबर, मूत किसान का, दूध दुहे सरकार।
पशुपालन ऋण तेग पर, धरै मैनेजर धार।।

कर्ज, ब्याज औ किश्त में, सूली चढ़ा किसान।
तेरहीं की पूड़ी चखै, ले ले स्वाद प्रधान।।

आंगन बाड़ी की लगी, गांव गांव दूकान।
मैडम दलिया बेंचती, दुधमुंहवे हलकान।।

सीतापुर 261204
. 15 अक्टूबर 2020

Thursday, 1 October 2020

बाजों के इस गांव मे, रख चिड़िया पिस्तौल।




 बाजों के इस गांव मे

रख चिड़िया पिस्तौल।
पर छूते ही दाग दे
भल अनभल मत तौल।
होगे तीर कमान दृग
तू अब चक्कू राख।
नजर बुरी पर झपट पड़
तुरत निकालै आँख।।
लंपट से बच, बैड- गुड
की टच को पहचान।
अपना दामन नेक तो
ले बुजदिल की जान।।
मर्मस्थल पर लात जड़
हचक नाक पर मुट्ठ।
हिम्मत रख ,तू कालिका
सा लंपट पर जुट्ट।।

सीतापुर 261204
30 सितम्बर 2020